आज हम इस लेख में Ayurveda food in hindi में पढ़ेंगे कि आयुर्वेद में आहार यानि भोजन संबंधी सभी नियम और तरीको को जैसे रात में क्या नहीं खाना चाहिए या फिर किस तरह खाना खाने से शरीर पुष्ट होता है । इस लेख में healthy foods to eat everyday और balanced diet को भी जानेगे। आइये शुरू करते है कि आयुर्वेद में भोजन को किस प्रकार से परिभाषित किया है
आयुर्वेद के अनुसार भोजन क्या है- What is Food in Ayurveda
- मुख मार्ग द्वारा जो हम अन्न ग्रहण करते है उसे आहार कहते हैं। इस आहार के उपयोगी अंश से रस की उत्पत्ति होती है। रस अन्य धातुओं में परिणत होकर शारीरिक अंगों का पोषण करता है। शरीर को स्वस्थ रखता है। शरीर को शक्तिप्रदान करता है। शरीर को जीवित रखता है।
- समस्त प्राणियों के लिए उनका आहार उनका पोषण करता है। मनुष्य के लिए अमृत तुल्य कहा गया है और युक्तिपूर्वक इसका सेवन अमूत है, तथा अयुक्तिपूर्वक विष। अतः स्वस्थ रहने के लिए भोजन से संबधित ज्ञान का होना अतिआवश्यक है।[1]
सुश्रुत संहिता में आहार का वर्णन इस प्रकार से किया गया है:
आहारः प्रीणनः सद्यो बलकृत देहधारकः। आयुस्तेजः समुत्साहस्मृत्योजोऽग्निविवर्धनः।।
शरीर को पुष्ट करने वाला, बलकारक, देह को धारण करने वाला, आयु, तेज, उत्साह, स्मृति, ओज और अग्नि को बढाने वाला होता है।
(सु.चि)
आयुर्वेद के अनुसार कैसा भोजन करें- Which Type of Food to Eat
अब Ayurveda food in Hindi लेख में हम जानेगे की आयुर्वेद के अनुसार भोजन कैसा करें ?मनुष्य को स्वविवेक से हितकारी पदार्थो का ही सेवन करना चाहिए। जो खाने लायक हो उसे खाना चाहिए। अर्थात शुद्ध, सात्विक जो शरीर मन बुद्धि और आत्मा के लिए हितकर हो, ऐसा आहार ग्रहण करना चाहिए। आयुर्वेद में बताया गया है आप जिस प्रकार का खाना खाते है तो उसी प्रकार से आपके मन के गुण होने लगते है इसलिए आयुर्वेद सात्विक और हित कर भोजन करने का उपदेश देता है।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन कितना खायें- How Much Food to Eat
Ayurveda food in Hindi लेख में आयुर्वेद में खाना कितना खाना चाहिए इस संबंध में भी उल्लेख किया गया है। खाद्य पदार्थ उचित मात्रा में ही खाने चाहिए। चाहे वह कितने ही पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक क्यों ना हो। यदि खाद्य पदार्थो का सेवन उचित मात्रा में नहीं किया गया तो हॉनि की सम्भावना रहती है। भोजन उतना ही खाना चाहिए जिससे शरीर का पोषण हो सके।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन कैसे खायें- How To Eat Food
- आयुर्वेद में भोजन को कैसे खाना चाहिए इस बारे में भी बताया गया है. आयुर्वेद के अनुसार भोजन को खूब चबा - चबा कर खाना चाहिए। जिससे जठराग्निको श्रम न करना पड़े। जो भी भोजन मिले उसे ईश्वर को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए। प्रसन्न मन से भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- जूठा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए ना ही किसी को जूठा भोजन देना चाहिए। इस प्रकार इन नियमों को ध्यान में रखते हुए शुद्ध, सात्विक भाव रखकर प्रसन्न मन से भोजन करना चाहिए। जिससे कि उस भोजन से हमें सदविचार , सदभावनाएं उत्पन्न हो तथा हमारा शरीर निरोग हो।
आयुर्वेद के अनुसार रात्रिकालीन भोजन के नियम- Rules of Eating Food at Night in Ayurveda
Ayurveda food in Hindi लेख में अब हम जानेगे की रात्रिकाल में भोजन का उत्तम काल कौन सा है ? इसे स्पष्ट करते हुए आयुर्वेद के प्रमुख ग्रन्थ भाव प्रकाश में कहा गया है -
रात्रौ तु भो जनं कुर्यात प्रथम पहरान्तरे । किचि्´दूनं समश्नीयाद् दुर्जरं तत्र वर्जयेत।।
भावप्रकाश
अर्थात, विषम परिस्थितियों को छोडकर रात्रिकाल के प्रथम पहर के अंत में भोजन कर लेना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि संध्याकाल केउपरान्त रात्रिकाल के प्रथम पहर में संध्योपासना के उपरान्त रात्रिकालीन भोजन ग्रहण करना चाहिए। रात्रिकाल के प्रथम पहर के अंत से तात्पर्य रात्रिकाल में सात से नौ बजे का समय है जो रात्रिकालीन भोजन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है।
रात्रिकाल आहार में किन किन महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान रखना चाहिए, अतः अब रात्रिकालीन भोजन में पालन करने योग्य कुछ सामान्य नियमों पर का देखते है जो इस प्रकार हैं :
- रात्रिकाल में आलू, बैंगन, चावल, उदड की दाल तथा राजमा आदि वात दोष प्रधान भारी भोज्य पदार्थो का सेवन नही करना चाहिए।
- रात्रिकाल में दही का प्रयोग कदापि नही करना चाहिए।
- रात्रिकाल में भोजन के तुरंत बाद सोना नही चाहिए।
- रात्रिकाल में अधिक देर में भोजन नही करना चाहिए।
- सदैव एकाग्रचित्त होकर प्रसन्न एवं स्थिर मन के साथ भोजन करना चाहिए।
- कभी भी खडे होकर, जल्दी में अथवा बाते करते हुए अथवा बिना एकाग्रता के कही भोजन नही करना चाहिए।
- एक निर्धारित समय पर निश्चित मात्रा में भोजन करने की आदत बनानी चाहिए।
- रात्रिकाल में अच्छी प्रकार भूख होने पर ही भोजन का सेवन
- करना चाहिए इसके विपरित भूख नही होने पर भो जन का सेवन नही करना चाहिए।
- मनुष्य को अपनी रसेन्द्रियो पर नियंन्त्रण करते हुए शरीर की प्रकृति के अनुकूल आहार का सेवन करना चाहिए। विशेष रुप से 50 वर्ष की आयु के बाद इसका विशेष ध्यान रखते हुए इन्द्रियों सयंम को अपनाना चाहिए।
- रात्रिकाल में बासी भोजन, तेज नमक, मिर्च-मसाले, खटाई तथा रासायनिक पदार्थो से युक्त भोजन का सेवन नही करना चाहिए।
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आयुर्वेद के अनुसार आहार सम्बन्धी जाने योग्य तथ्य-Facts to Know About Diet According to Ayurveda
आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य को आहार के सम्बन्ध में निम्न लिखित बातों को ध्यान रखना चाहिये को करना चाहिए :
- सदैव ऋतु के अनुसार शुद्ध, सात्विक, पौष्टिक एवं ताजे आहार का सेवन करना चाहिए।
- निश्चित समय पर ही आहार ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर के अन्दर
- पाचक रसों का स्रावण भली भांति होता है एवं भोजन का पाचन अच्छी प्रकार होता है।
- सदैव भूख लगने पर ही आहार का सेवन करना चाहिए।
- आहार ग्रहण करते समय पूर्ण रुप से मौन का पालन करना चाहिए।
- सदैव अच्छी प्रकार चबा चबा कर भोजन ग्रहण करना चाहिए एवं भोजन के मध्य में थोडी थोडी मात्रा में जल का सेवन करते रहना चाहिए। ऐसा करने से भोजन का पाचन भलि भांति होता है।
- शान्तिपूर्वक आहार ग्रहण के उपरान्त पाँच से दस मिनट वज्रासन में बैठना चाहिए।
- आहार ग्रहण करने के तुरन्त बाद यात्रा एवं कठिन श्रम निषेध है अपितु कुछ समय विश्राम करने के उपरान्त ही शरीरिक कार्य करने चाहिए।
आपने इस लेख में जाना की आयुर्वेद के अनुसार भोजन के क्या नियम है और किस प्रकार और कैसे भोजन करना चाहिए। आयुर्वेद में बताए गए नियम और विधियों का पालना करने से भोजन का शरीर में पाचन अच्छे से होता है और ऐसे भोजन से आयु की वृद्धि importance of healthy food in hindi होती है।