इस लेख में Home Remedies for Piles in Hindi यानि Piles या bavasir ka Gharelu ilaj को पढ़ेंगे.इसकेसाथ ही Home Remedies for Piles in Hindi लेख में Causes for Piles और Symptoms of Piles in Hindi में जानेंगे तो आइये शुरू करते है Home Remedies for Piles in Hindi लेख
बवासीर क्या है- What are Piles in Hindi
- बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, आपके गुदा और निचले मलाशय में वैरिकाज़ नसों के समान सूजन वाली नसें हैं। बवासीर मलाशय (आंतरिक बवासीर) के अंदर या गुदा के आसपास की त्वचा (बाहरी बवासीर) के अंदर विकसित हो सकता है।
- चार वयस्कों में से लगभग तीन को किसी न किसी समय बवासीर की समस्या रही होगी। बवासीर के कई कारण होते हैं, लेकिन अक्सर इसका कारण अज्ञात होता है। अच्छी बात यह है, बवासीर के इलाज के लिए प्रभावी विकल्प उपलब्ध हैं। लोगों को घरेलू उपचार Home Remedies for Piles in Hindi और जीवनशैली में बदलाव से राहत मिलती है।[1]
बवासीर के कारण- Piles causes in Hindi
बवासीर की समस्या में आपके गुदा के आसपास की नसें दबाव में खिंचाव करती हैं जिससे यह उभार या सूज सकती हैं। बवासीर bawasir kaise hota hai in hindi, मलाशय के निचले भाग में बढ़ते दबाव से विकसित हो सकता है इस दवाब के कारण ये है[1]
- मल त्याग के दौरान तनाव या जोर लगाना
- शौचालय पर लंबे समय तक बैठे रहना
- जीर्ण दस्त या कब्ज होना का होना
- मोटापा भी बवासीर का कारण हो सकता है
- गर्भवती होने होने पर भी बवासीर की संभावना बढ़ जाती है
- कम फाइबर वाला आहार लेना भी एक कारण हो सकता है
- नियमित रूप से भारी उठाना का उठा बवासीर की समस्या पैदा कर सकता है
बवासीर के लक्षण- Symptoms of Piles in Hindi
बवासीर या पाइल्स के लक्षण आमतौर पर बवासीर के प्रकार पर निर्भर करते हैं[1] :
बाहरी बवासीर- External Piles
ये गुदा के आसपास की त्वचा के नीचे होते हैं। इसके निम्न लक्षण मिल सकते है
- गुदा मार्ग में खुजली या जलन होना
- मल त्याग के दौरान दर्द या तकलीफ होना
- आपके गुदा के आसपास सूजन का होना
- गुदा मार्ग से रक्त का बहाव भी हो सकता है
आंतरिक बवासीर- Internal Piles
आंतरिक बवासीर मलाशय के अंदर होती है। आप आमतौर पर उन्हें देख या महसूस नहीं कर सकते, और वे शायद ही कभी असुविधा का कारण बनते हैं। लेकिन गुदा मार्ग जलन कर सकते है:
- मल त्याग के दौरान दर्द रहित रक्तस्राव- आप अपने टॉयलेट टिशू पर या टॉयलेट में चमकदार लाल रक्त की थोड़ी मात्रा देख सकते हैं।
- गुदा खोलने जगह पर धक्का देने पर रक्तस्राव, जिसके दर्द और जलन होती है।
थ्रोम्बसेड बवासीर- Thrombosed (hemorrhoids) Piles
इस प्रकार के बवासीर में बाहरी रक्तस्राव के कारण रक्त पूल होता है और थक्का (थ्रोम्बस) बनता है जिससे कारण निम्न परिणाम देखने को मिलते है :
- गंभीर और असहनीय दर्द का होना
- सूजन गुदा द्वार और मार्ग में सूजन होना
- गुदा के पास एक सख्त गांठ का होना
बवासीर के घरेलू उपाय- Home remedies for Piles in Hindi
बवासीर की समस्या को कुछ हद तक घरेलू उपचार और नियमित दिनचर्या से नियंत्रित किया जा सकता है आइये जानते है ऐसे ही कुछ उपायों को
मूली बवासीर में फायदेमंद-Radish Benefits For Piles in Hindi
मूली का उपयोग बवासीर में फायदेमंद होता है मूली सर्दियों के मौसम में आसानी से मिल जाती है इसका सेवन बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
मूली बवासीर में कैसे काम करती है
- मूली एक अच्छी डेटोक्सिफाइयर है जो की बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है मूली गुदामार्ग को भी कोमल बनाती जिससे मलत्याग के समय तकलीफ नहीं होती है साथ ही मूली कब्ज यानि कॉन्स्टिपेशन को भी दूर करती है।[2]
मूली का बवासीर में उपयोग करने का तरीका- How to Use Radish in Pilesमूली का उपयोग आप बवासीर में इस प्रकार से कर सकते है
- मूली का सब्जी के रूप में प्रतिदिन के खाने में जोड़े।
- या फिर मूली क जूस के रूप में उपयोग कर सकते है।
त्रिफला चूर्ण का बवासीर में उपयोग- Triphala For Piles in Hindi
त्रिफला का चूर्ण आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध औषधि है जो की रसायन यानि आरोग्य को देने वाला बताया है.इसका उपयोग पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी किया जाता है इसलिए इसका उपयोग बवासीर में फायदेमंद होता है।
त्रिफला चूर्ण बवासीर में कैसे काम करता है
- त्रिफला का सेवन बवासीर के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है क्योंकि बवासीर होने के कारणों में कब्ज का होना है भी एक प्रमुख कारण है।
- त्रिफला का सेवन कब्ज को दूर करने में मदद करता है जिससे बवासीर के लक्षणों में आराम मिलता है।[3]
त्रिफला चूर्ण का बवासीर में उपयोग तरीका- How to Use Triphala in Piles
त्रिफला का बवासीर में उपयोग इस प्रकार से करते है:
- त्रिफला चूर्ण को चिकित्सक के द्वारा बताई गयी मात्रा में लेकर इस चूर्ण को गुनगने पानी से रात में सोने से पहले ले।
और पढ़ें : त्रिफला चूर्ण के फायदे
इसबगोल दूर करे बवासीर- Isabgol Helps to Control Piles
इसबगोल का सेवन बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है इसबगोल बाजार में इसबगोल की भूसी के नाम से मिलता है इसका सेवन पाचन सं बंधित विकारों को दूर करने में मदद करता है।
इसबगोल बवासीर में कैसे काम करता है
- इसबगोल का सेवन मल को लचीला बनाकर उसको आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है जिससे मलत्याग के समय होने वाले दर्द और जलन को कम कर देताहै इसलिए ये बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।[4]
कैसे करे इसबगोल का उपयोग बवासीर में- How to Use Isabgol in Piles
इसबगोल को पाइल्स या बवासीर में इस प्रकार करे:
- इसबगोल को चिकित्सक के द्वारा बतायी गई मात्रा में लेकर उसको गर्म पानी से रात में सोने से पहले ले।
जात्यादि तेल दे बवासीर के दर्द में आराम- Jatyadi tail is Good For Piles
जात्यादि तेल एक आयुर्वेदिक तेल है जो की बवासीर में होने वाले दर्द में आराम देता है ये जात्यादि तेल बाजार में आसानी से मिल जाता है।
जात्यादि तेल बवासीर में कैसे काम करता है
- जात्यादि तेल में रोपण यानि हीलिंग का गुण होता है जो की बवासीर के मस्सों को हील करने में मदद करता है इसलिए जात्यादि तेल बवासीर में होने वाले दर्द में आराम देता है।[5]
जात्यादि तेल को बवासीर में उपयोग करने तरीका- How to Use Jatyadi Oil in Piles
जात्यादि तेल को बवासीर में इस प्रकार लगाते है
- जात्यादि तेल को चिकित्सक के द्वारा बतायी मात्रा में ले
- इसको रुई यानि कॉटन में लेकर गुदाद्वार पर लगाये दिन एक से दो बार
तिल के तेल का उपयोग बवासीर में फायदेमंद- Sesame Seeds Oil Benefits For Piles
तिल के तेल का उपयोग बवासीर में फायदा देता है। तिल के तेल को आयुर्वेद में अनेक रोगों में उपयोग बताया गया है जिनमें से अर्श यानि बवासीर भी एक है।
तिल तेल बवासीर में कैसे काम करता है
- तिल का बवासीर में लगाने से लाभ होता है क्योंकि तिल के तेल में शोथहर यानि एंटी इंफ्लेमेटरी का गुण होता है जो की बवासीर के होने वाली सूजन कर दर्द को कम करने में मदद करता है।[6]
तिल तेल को बवासीर में उपयोग करने तरीका- How to Use Jatyadi Oil in Piles
तिल तेल को बवासीर में इस प्रकार उपयोग करें
- तिल तेल को चिकित्सक के द्वारा बतायी मात्रा में ले
- इसको रुई यानि कॉटन में लेकर गुदाद्वार पर लगाये दिन एक से दो बार
जैतून का तेल दूर करे बवासीर की तकलीफ- Olive Oil Helps to Control Piles
जैतून का तेल यानि ओलिव आयल का उपयोग बवासीर की तकलीफ को दूर करने का एक अच्छा उपाय है जैतून तेल को खाने के साथ लगाने में भी उपयोग कर सकते है।
जैतून का तेल बवासीर में कैसे काम करता है
- जैतून तेल का बवासीर की जगह लगाने पर ये उस जगह की शोथ को दूर वहाँ की सूजन दूर करने में मदद करता है और हीलिंग की प्रकिया को बढ़ाता है क्योंकि इसमें शोथहर और रोपण का गुण होता है।[7]
जैतून तेल को बवासीर में उपयोग करने तरीका- How to Use Olive Oil in Piles
जैतून तेल को उपयोग इस प्रकार से करे :
- जैतून तेल को चिकित्सक के द्वारा बतायी गई मात्रा में लेकर
- रुई या कॉटन में लेकर उसको बवासीर में लगाए दिन में एक से दो बार
ये भी पढ़ें : जैतून तेल के फायदे और नुकसान
एलोवेरा का उपयोग बवासीर में फायदेमंद- Aloevera Benefits for Piles in Hindi
एलोवेरा का जेल के रूप में बवासीर में लगाने से लाभ होता है एलोवेरा के जेल को गुदामार्ग मार्ग पर लगाने से बवासीर के दर्द में आराम मिलता है।
एलोवेरा बवासीर में कैसे काम करता है
- एलोवेरा में रोपण और शोथहर का गुण पाया जाता है जो की बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है विशेषरूप से जलन और सूजन में आराम होता है।[8]
एलोवेरा बवासीर में उपयोग करने तरीका- How to Use Aloevera in Piles
एलो वेरा का पाइल्स या बवासीर में उपयोग इस प्रकार से कर सकते है :
- एलो वेरा का जेल चिकित्सक द्वारा बतायी गई मात्रा में लेकर
- बवासीर वाले स्थान पर लगाए दिन में एक से दो बार
हरड़ का का सेवन दूर करे बवासीर की तकलीफ- Harad Good For Piles
हरड़ एक जानी मानी आयुर्वेदिक औषधि जो की पेट संबंधी समस्याओ को दूर करने में मदद करती है विशेषरूप से यह कब्ज को दूर करने में मदद करती है जिससे ये बवासीर के लक्षणों को दूर करने में मदद करती है।
हरड़ बवासीर में कैसे काम करती है
- हरड़ का सेवन बवासीर में फायदेमंद होता है क्योंकि बवासीर का मुख्य कारण कब्ज को ये दूर करती है
- साथ हि इसमें एंटीइंफ्लेमटरी गुण भी होता है जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है।[9]
हरड़ का बवासीर में उपयोग करने तरीका- How to Use Harad in Piles
हरड़ का उपयोग बवासीर में इस प्रकार से कर सकते है
- हरड़ का चूर्ण चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लेकर
- इसे गर्म पानी से रात को सोने से पहले ले एक बार
- हरड़ चूर्ण चिकित्सक द्वारा बतायी मात्रा में लेकर
- इसको खाने के बाद गुड़ में मिलाकर भी सेवन कर सकते
रेशेयुक्त आहार बवासीर को लिए अच्छा- Fibers Diet For Piles in Hindi
रेशे युक्त आहार बवासीर में फायदेमंद होता है रेशे युक्त आहार डाइजेस्टिव सिस्टम को अच्छा रखता है जिससे बवासीर को रोकने में मदद करता है।
रेशेयुक्त आहार बवासीर में कैसे काम करता है
- रेशेयुक्त आहार यानि फाइबर भोजन करने से यह मल को सॉफ्ट बनाता है जिससे मल त्याग करने में आसानी होती है और बवासीर ले लक्षण कम होने लगते है।[10]
रेशेयुक्त आहार कैसे ले- How to Add Fiber Diet in Piles
रेशेयुक्त आहार को इस प्रकार से अपने प्रतिदिन के खाने में जोड़े
- सलाद के रूप में खाने में ले
- दालें और हरे पत्तेदार सब्जियों को भोजन में सम्मलित करे
बवासीर में खून को रोकने के उपाय- Tip for bleeding Piles in Hindi
बवासीर में खून आने आप घर पर इस उपाय कर सकते है यदि इस उपाय से आराम न मिले तो चिकित्सक से जरूर परामर्श ले खूनी बवासीर में फिटकरी के पानी का सिट्ज़ बाथ या सिकाई कर सकते है फिटकरी या एलम के पानी की सिकाई खून को रोकने में मदद करती है।
फिटकरी बवासीर में खून को कैसे रोकती है
फिटकरी में एस्ट्रिंजेंट का गुण होता है जब फिटकरी के पानी से बवासीर में सिकाई करते है तो यह रक्त कोशिकाओं को संकुचित कर रक्त को रोकने में मदद करती है।[11]
फिटकरी (एलम) का उपयोग- Alum Helps to Control Bleeding in Piles
फिटकरी को बवासीर में इस प्रकार से उपयोग करे
- सिट्ज़ बाथ (Sitz bath) विधि से सिकाई करे इसके लिए गर्म या गुनगुना पानी में फिटकरी पाउडर को आवश्यकता अनुसार मिलाकर घोले फिर गुदा मार्ग की सिकाई करे दिन में एक से दो बार।
बवासीर में आहार-विहार- Diet and lifestyle for hemorrhoids sufferers in Hindi
बवासीर में घरलू उपचार Home Remedies for Piles in Hindi के साथ -साथ कुछ आहार -विहार का भी पालन करना पड़ता है। बवासीर की समस्या होने पर आप यहाँ बताये गए आहार- विहार का पालन करेंगे तो कुछ हद तक इस समस्या को रोक सकते है[12] :
- ये आहार के रूप में ले सकते है
- गोधुम -गेनु (गेहूँ), शाली किस्म के चावल, बीजों की यव (जौ) और कुलत्था-कुलथी (डोलिचोस बीन); अजा दुग्धा (बकरी का दूध), नवनीता (मक्खन) और पटोल का फल (छोटी ककड़ी की एक किस्म), पुनर्नवा और आँवला बवासीर के रोगी के लिए उपयोगी आहार है।
- इसका आहार के रूप में परहेज करे
- उड़द की दाल (बाल्क फेजोलस बीन), तिल का बीज, तले हुए, कब्ज और भोजन को पचाने में मुश्किल अर्श (बवासीर) के रोगी के लिए हानिकारक हैं। पानी, धूप स्नान, गर्मी और सवारी का अत्यधिक उपयोग; और पेशाब और शौच के प्राकृतिक वेगो को दबाने से बचना चाहिए।